रविवार, 1 अप्रैल 2012

बलात्कार के अपराधी की गिरफ्तारी कब तक?



शुक्रवार, 30 मार्च 2012

बलात्कार के अपराधी की गिरफ्तारी कब तक?

...बलात्कार के अपराधी की गिरफ्तारी कब तक? रीवां जिले के ग्राम चनदई की नाबालिग लड़की  कु रीता साकेत पुत्री द्वारका प्रसाद साकेत जिसकी उम्र लगभग १५ वर्ष है जो की शासकीय  कन्या उच्त्तर माध्यमिक विद्यालय चाकघाट में कक्षा नौ की छात्रा है ..जब एक दिन दिनाक ६/३/१२ को शाम ७/८ बजे अपनी गाय को बांधकर लौट रहीथी तभी गाँव के बैजू नामक युवक ने पीछे से आकर रीता साकेत को पकड़ लिया  ओर उसे कट्टे की नोक पर डराधमका  कर खेत में ले जाकर उससे बलात्कार किया ...बैजू पूर्व मंत्री का नाती है जिसके ६ चालान पूर्व में चल रहें हेँ ओर ७ वां  मामला रीता साकेत का है ...आज विधान सभा में सदस्य गरीब कोल ओर रामलखन सिंह पटेल ने  गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता के ध्याना आकर्षण सूचना[नियम १३८[१] के विषय अंतर्गत ये बात कही उन्होंने कहा की बैजू ने ना केवल धमकाया बल्कि ये भी कहा की अगर ये बात तुमने किसी ओर को बताई तो तुम लोगों को जान से ख़त्म कर दूंगा ..बाद में लड़की के  पिता ने  अपने रिश्तेदार सोहागी के सरपंच को घटना की जानकारी दी तो उसने इन्हें रिपोर्ट लिखवाने को कहा ..इसके बाद जाकर लड़की के पिता ने सोहागी थाने में जाकर लिखित रिपोर्ट की ..टी आई ने उन्हें २० मार्च को मेडिकल परिक्षण हेतु थाने में बुलवाया ..जब ये लोग थाने पहुंचे तो टी आई ने इन्हें ये कह कर वापिस लौटा दिया की शाम हो गई है कल आना ओर मेडिकल नहीं हो पाया ...ना ही थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया अपराधी दबंग किस्म का है ...मंत्री महोदय का कहना था की त्योथर में अपराध क्रमांक ४४/१२ दिनाक २१/३/१२ को धारा २९४,५०६,३७६[६]भा द वि एवं ३[१] ११ एस सी .एस टी एक्ट का प्रकरण पंजीबध किया जाकर प्रकरण में प्रार्थी का मेडिकल कराया गया 
सदस्य द्वय रामगरीब कोल ओर रामलखन सिंह ने मंत्री से पूछा की अपराधी कब गिरफ्तार होगा तो मंत्री ने जवाब दिया की हम अपराधी को जल्द से जल्द गिरफ्तार करेंगे ...लेकिन सदस्य इससे संतुष्ट नहीं हुए उन्होंने कहा की मंत्री जी ये बताने की कृपा करेंगे की 
 इसकी समय सीमा क्या होगी तो गृह मंत्री का कहना था की अपराधी की गिरफ्तारी तत्काल होगी आसंदी से अध्यक्ष का कहना था की अपराधी कहाँ होगा ये मालुम नहीं होता बस जल्दी से गिरफ्तारी की जायेगी ..उन्होंने ये भी कहा की ये एक गंभीर मामला है ओर इस प्रकरण में जल्द कारवाई  की जाकर बच्ची  ओर उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए...हालांकि बच्ची के मेडिकल परिक्षण ना किये जाने बाबत ..मंत्री महोदय का ये कहना था की ''त्योंथर में महिला डाक्टर उपलब्ध ना होने के कारण डाक्टरी परिक्षण नहीं हो पाया था लेकिन बाद में उसके परिजनों की सहमति से एम् जी एम् एच रीवां में मेडिकल परिक्षण किया गया ..ओर अब एस डी ओ त्योंथर सुरजीत सिंह द्वारा इस प्रकरण की विवेचना किजा रही है आरोपी अभी तक फरार है ओर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जारहे हेँ .......[मध्यप्रदेश में जहाँ एक ओर तो बालिका -बेटी बचाओ अभियान जोर-शोर से अपनी आवाज बुलंद कर रहें हेँ वहीँ गावों मेंइस तरह के अपराधी -बलात्कारी नाबालिग बच्चियों को अपना शिकार बना रहें हेँ पुलिस का उनपर कोई अंकुश नहीं अपराधी बेलगाम घूम रहें हेँ पुलिस की निष्क्रियता ओर दबंगों की गुंडई के आगे भोले भाले गरीब गावों  के लोग न्याय की गुहार तक लगाने में डरते हेँ ]





दिनेश त्रिवेदी ओर ममता बनर्जी ..एक तीर कई शिकार


शुक्रवार, 23 मार्च 2012

दिनेश त्रिवेदी ओर ममता बनर्जी ..एक तीर कई शिकार

दिनेश त्रिवेदी  ओर ममता बनर्जी ..एक तीर कई शिकार .ममता बनर्जी कभी भी दिनेश त्रिवेदी को लेकर सहज नहीं थी उनके रेल मंत्री बनने के बाद से ही ममता के कई करीबी उनकी जासूसी में लगे हुए थे यहाँ तक की उनके बारे में उलटी-सीधी ख़बरें ममता तक पहुंचाई जारही थी लेकिन त्रिवेदी बनर्जी की मजबूरी थे क्योंकि पार्टी में पश्चिम बंगाल से बाहर के वे अकेले सांसद थे सो वे बंगाल के नेतृतव में कोई चुनौती पैदा नहीं कर सकते थे,दूसरे तृणमूल को बाहर की दुनिया ख़ास कर कारोबारी दुनिया से जोड़ने वाले वे अकेले कड़ी थे इस नाते ममता के साथ उनके नरम-गरम सम्बन्ध चल रहे थे..पर जब पंजाब के रहने वाले ओर झारखण्ड से राज्यसभा बने k d सिंह ने पश्चिम बंगाल की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन की तो ममता बनर्जी को एक अखिल भारतीय नेटवर्किंग  वाला आदमी मिल गया सिंह के कारोबारी सम्बन्ध को परखने के बाद ममता इस नतीजे पर पहुंची की अब दिनेश त्रिवेदी को हाशिये पर डाला जा सकता है बस इसके लिए एक मौका चाहिए था रेल बजट ने यही मौका दे दिया हालाँकि ममता के करीबी यों का कहना है की किराया बढाने के नाम पर ममता एकदम से त्रिवेदी को हटाने का फेसला नहीं लेती ... अगर वे बजट के बाद मीडिया के सामने यू शहीदाना अंदाज में इंटरव्यू नहीं देते चूँकि पहले तृणमूल कांग्रेस का नजरिया किराए में कमी करने वाला था ,ओर खुद ममता भी चाहती थी की जनरल ओर स्लीपर क्लास के किराए में हुई बढ़ोत्तरी कम कर दी जाए ,,,लेकिन जैसे ही सुदीप वन्धोपाध्याय ने मीडिया में त्रिवेदी के खिलाफ बोलना शुरू किया त्रिवेदी ने भी उसका जवाब देना शुरू कर दिया ममता से बात करने ओर अपना पक्ष रखने की बजाय उन्होंने अपने को शहीद बनाने की रन निति अपनाई..ओर इसी बीच पश्चिम बंगाल कांग्रेस ओर मीडिया से लेकर उधोग जगत में त्रिवेदी की वाहवाही होने लगी ममता ने जब उनका कद बढ़ते हुए देखा तो किराया बढोत्तरी का मुद्दा बनाकर त्रिवेदी को दरकिनार करने की रणनीति बना डाली ममता ने एक तीर से कई शिकार किये ओर केंद्र को भी बता दिया की बजट में बढ़ोत्तरी ना हो तो ही ठीक रहेगा ...   .ममता बनर्जी कभी भी दिनेश त्रिवेदी को लेकर सहज नहीं थी उनके रेल मंत्री बनने के बाद से ही ममता के कई करीबी उनकी जासूसी में लगे हुए थे यहाँ तक की उनके बारे में उलटी-सीधी ख़बरें ममता तक पहुंचाई जारही थी लेकिन त्रिवेदी बनर्जी की मजबूरी थे क्योंकि पार्टी में पश्चिम बंगाल से बाहर के वे अकेले सांसद थे सो वे बंगाल के नेतृतव में कोई चुनौती पैदा नहीं कर सकते थे,दूसरे तृणमूल को बाहर की दुनिया ख़ास कर कारोबारी दुनिया से जोड़ने वाले वे अकेले कड़ी थे इस नाते ममता के साथ उनके नरम-गरम सम्बन्ध चल रहे थे..पर जब पंजाब के रहने वाले ओर झारखण्ड से राज्यसभा बने k d सिंह ने पश्चिम बंगाल की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन की तो ममता बनर्जी को एक अखिल भारतीय नेटवर्किंग  वाला आदमी मिल गया सिंह के कारोबारी सम्बन्ध को परखने के बाद ममता इस नतीजे पर पहुंची की अब दिनेश त्रिवेदी को हाशिये पर डाला जा सकता है बस इसके लिए एक मौका चाहिए था रेल बजट ने यही मौका दे दिया हालाँकि ममता के करीबी यों का कहना है की किराया बढाने के नाम पर ममता एकदम से त्रिवेदी को हटाने का फेसला नहीं लेती ... अगर वे बजट के बाद मीडिया के सामने यू शहीदाना अंदाज में इंटरव्यू नहीं देते चूँकि पहले तृणमूल कांग्रेस का नजरिया किराए में कमी करने वाला था ,ओर खुद ममता भी चाहती थी की जनरल ओर स्लीपर क्लास के किराए में हुई बढ़ोत्तरी कम कर दी जाए ,,,लेकिन जैसे ही सुदीप वन्धोपाध्याय ने मीडिया में त्रिवेदी के खिलाफ बोलना शुरू किया त्रिवेदी ने भी उसका जवाब देना शुरू कर दिया ममता से बात करने ओर अपना पक्ष रखने की बजाय उन्होंने अपने को शहीद बनाने की रन निति अपनाई..ओर इसी बीच पश्चिम बंगाल कांग्रेस ओर मीडिया से लेकर उधोग जगत में त्रिवेदी की वाहवाही होने लगी ममता ने जब उनका कद बढ़ते हुए देखा तो किराया बढोत्तरी का मुद्दा बनाकर त्रिवेदी को दरकिनार करने की रणनीति बना डाली ममता ने एक तीर से कई शिकार किये ओर केंद्र को भी बता दिया की बजट में बढ़ोत्तरी ना हो तो ही ठीक रहेगा ...